Wednesday, July 28, 2010

mazar bhopali

हम तो फूल जैसे थे आग सा बना डाला
हाय इस ज़माने ने क्या से क्या बना डाला

आओ तुम भी पास तो रौशनी में नहला दे
जिस को छु लिया हमने आइना बना डाला

तुम से क्या रखे मुंसिफी की उमीदे 
क़त्ल-ऐ-आम को हादसा बना डाला 

No comments: