बेअमल को दुनिया में राहतें नहीं मिलती
दोस्तों दुआओं से जन्नत नहीं मिलती
अपने दम पर लडती है अपनी जंग हर पीड़ी
नाम से बुजुर्गो के अज़मते नहीं मिलती
इस नए ज़माने के आदमी अजूबे है
सूरते तो मिलती है सीरते नहीं मिलती
शोहरतो पे इतरा कर खुद को जो खुदा समझे
मंज़र ऐसे लोगो की कुर्बते नहीं मिलती
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