Wednesday, July 28, 2010

mazhar bhopali

बेअमल को दुनिया में राहतें  नहीं मिलती 
दोस्तों दुआओं से जन्नत नहीं मिलती

अपने दम पर लडती है अपनी जंग हर पीड़ी
नाम से बुजुर्गो के अज़मते नहीं मिलती

इस नए ज़माने के आदमी अजूबे है 
सूरते तो मिलती है सीरते नहीं मिलती

शोहरतो पे इतरा कर खुद को जो खुदा समझे
मंज़र ऐसे लोगो की कुर्बते नहीं मिलती 

mazar bhopali

हम तो फूल जैसे थे आग सा बना डाला
हाय इस ज़माने ने क्या से क्या बना डाला

आओ तुम भी पास तो रौशनी में नहला दे
जिस को छु लिया हमने आइना बना डाला

तुम से क्या रखे मुंसिफी की उमीदे 
क़त्ल-ऐ-आम को हादसा बना डाला 

Some shayari by johar kanpuri

दिल दुखा कर आजमा कर या रुला कर छोडना
हमने सीखा ही नहीं अपना बना कर छोडना

ताके दुनिया यह न समझे हम में दूरी हो गयी
साथ जब भी छोडना तो मुस्कुरा कर छोडना

है तरीके और भी मुझसे बिछड़ने के लिए
क्या ज़रूरी है कोई तोहमत लगा कर छोडना

होश बाकी रह गए तो जी नहीं पाऊँगा मै 
कुछ न याद आये मुझे इतनी पिला कर छोडना

तेल के बदले हमें चाहे लहू देना पड़े
अपनी फितरत है चिरागों को जला कर छोडना

कुफ्र है अहसास-ऐ-मायूसी थकन है बुजदिली
आंसू की डौर को मंजिल पे जा कर छोडना 

and another sher which was phenomenal

तुम्हारा घर हमेशा रौशनी से जगमागाऊंगा

दिए खामोश हो जायेंगे तो मै दिल जलाऊंगा

तुम्हे जिस दिन यकीन हो जाए मुझमे खूबियाँ भी है

मुझे आवाज़ दे देना मै वापस लौट आऊँगा 

Friday, July 23, 2010

Kumaar vishwaas

बदलने को कोई आँखों के मंज़र कम नहीं बदले
तुम्हारी याद के मौसम हमारे गम नहीं बदले
तुम अगले जनम में हमसे मिलोगे तब तो मानोगे
बदला यह सारा ज़माना हम नहीं बदले

Wednesday, July 7, 2010

Naseem Nakhat - Raat ko shama ki manind pighal kar deikho


रात को शम्मा की मानिंद पिघल कर देखो
ज़िन्दगी क्या है किसी ताप में जल कर देखो

अपने चहरे को बदलना तो बहोत मुश्किल है
जी बहल जाएगा आइना बदल कर देखो

रंग बिखरेंगे तो फ़रियाद करेगी खुशबू
तुम किसी फूल को चुटकी से मसल कर देखो

जब भी देखा तुम्हे एक खवाब की सूरत देखा
एक दिन पैकर-ऐ-ताबीर में ढल कर देखो

ज़िन्दगी माँ है नवाजेगी तुम्हे भी नखत
किसी बच्चे की तरह तुम भी मचल कर देखो

Raat ko shama ki maanind pighal kar dekho
zindagi kya hai kisi taap mai jal kar dekho

Apne chahre ko badalna toh bohot mushkil hai
jee bahal jayega aainaa badal kar dekho

Rang bikharenge toh fariyaad karegi khushboo
tum phool ko chutki se masal kar dekho

Jab bhi dekha tumhe ek khawaab ki surat dekha
Ek din paikar-ae-taabeer mai dhal kar dekho
(paikar-ae-taabeer = part of my destiny)

Zindagi maa hai nawaazegi tumhe bhi nakhaat
Kisi bachche ki tarah tum bhi machal kar dekho




Dr. Naseem Nikhat poetry

Mujhko Chiraag Ae Shaam ki surat jala ke dekh
Aa ae andheri raat mujhe aazmaa ke dekh

Maujein kabhi toh haarengi tere yakeen se
Saahil pe roz ek ghironda bana ke dekh

Tooti hui mundeir pe chota sa ek chiraag
Mausam se kah raha hai ke aandhi chala ke dekh

ubhroongi tere maathe pe takdeer ban ke main
Harf-ae-galat ki tarah mujhe tu mita ke dekh

Mana ki mai hazaar faseelon mai qaid hoon
lekin kabhi khuloos se mujhko bula ke dekh

Natkhat patang ban ke fazaaon mai main uduoo
Lekin woh kah raha hai tevar hawa ke dekh