Wednesday, July 28, 2010

Some shayari by johar kanpuri

दिल दुखा कर आजमा कर या रुला कर छोडना
हमने सीखा ही नहीं अपना बना कर छोडना

ताके दुनिया यह न समझे हम में दूरी हो गयी
साथ जब भी छोडना तो मुस्कुरा कर छोडना

है तरीके और भी मुझसे बिछड़ने के लिए
क्या ज़रूरी है कोई तोहमत लगा कर छोडना

होश बाकी रह गए तो जी नहीं पाऊँगा मै 
कुछ न याद आये मुझे इतनी पिला कर छोडना

तेल के बदले हमें चाहे लहू देना पड़े
अपनी फितरत है चिरागों को जला कर छोडना

कुफ्र है अहसास-ऐ-मायूसी थकन है बुजदिली
आंसू की डौर को मंजिल पे जा कर छोडना 

and another sher which was phenomenal

तुम्हारा घर हमेशा रौशनी से जगमागाऊंगा

दिए खामोश हो जायेंगे तो मै दिल जलाऊंगा

तुम्हे जिस दिन यकीन हो जाए मुझमे खूबियाँ भी है

मुझे आवाज़ दे देना मै वापस लौट आऊँगा 

3 comments:

shakeb said...

beautiful Sir, i like your shayri mohammad shakeb alam
Thakurdwara (Moradabad)

Unknown said...

Nice line...👍

Unknown said...

Nice sir bahut acche